Mera Ghosla

एक ख्वाब है कुछ यादें हैं

एक ख्वाब है कुछ यादें हैं नाजाने इससे क्यूँ मुड़ जाते है
ये बात सिर्फ मेरी नहीं है, इसमे हम सब जुड़ जाते है

हमारी उम्र के बच्चों को कहते तो सुना ही होगा
हम ज़मीन से जुड़े 90s के बच्चे कहलाते है

हाँ हम वही बच्चे हैं जो सुकून से जिया करते थे
मोबाइल होता ना था हम प्रकृति से मिला करते थे

सुबह की किरनों के साथ वो भी चहचहाती थी
अलार्म कहाँ होता था, हमें तो गौरैया ही उठाती थी

एक ख्वाब है कुछ यादें हैं नाजाने इससे क्यूँ मुड़ जाते है
ये बात सिर्फ मेरी नहीं है, इसमे हम सब जुड़ जाते है

हमारी उम्र के बच्चों को कहते तो सुना ही होगा
हम ज़मीन से जुड़े 90s के बच्चे कहलाते है

हाँ हम वही बच्चे हैं जो सुकून से जिया करते थे
मोबाइल होता ना था हम प्रकृति से मिला करते थे

सुबह की किरनों के साथ वो भी चहचहाती थी
अलार्म कहाँ होता था, हमें तो गौरैया ही उठाती थी

हमरा मिट्टी का वो घर अनोखा लगता था
चिड़िया बिस्तर तक आ जाती थी जब सावन का झोंका लगता था

मुझे अच्छे से याद है वो आँगन में बैठ जाना
दाने बिखेर के चिडियों का झुंड बुलाना

मैंने चिडियों के बच्चों को हाँथों से उठाया है
सच बताऊँ मेरे पापा ने कयी घोंसले खुद से लगाया है

उनमें भी नजाने कैसा उमंग था
शायद उन्हें भी हमारे साथ ही रहना पसंद था

पर ये यादों वाली बात, अब नहीं है
क्यूँ हमारे वो साथ, अब नहीं है

एक खूबसूरत हिस्सा पीछे ही कहीं छुट गया
ऐसी ग़फलत में है कुछ एहसास ही नहीं है

भले ही इल्म की कमी हो, जज़्बातों से भरा हूँ
नए दौर मे भी मैं पीछे रहने को लरा हूँ

पक्के की नयी मकानों में एक हिस्सा छुड़वाया है
मैंने चिडियों के लिए एक मिट्टी का घर बनवाया है

एक ऐसा ज़ज्बात है जो कलम रखने नहीं देता
बरी मुश्किल से मैंने अभी अपने दिल को समझाया है

आप से भी है गुजारिश उन मासूम चिडियों का ख्याल करें
नयी तकनीकों से बेशक जुड़े उन्हें यूँ बेवजह ना बेहाल करें

ऐसी राह चुनें जो दोनों के हक में बेहतर हो
ऐसी तरक्की ही क्या जिसमें जीना किसी का मुहाल करें

Poet : अनिता पन्त