ओ रे गौरैया कहा चली गयी?
जो ची ची करके आती थी I
गेहूं के दाने चोंच मे,
लेके फुर्र हो जाती थी l
आशिया बनाने को,
तिनका चुग चुग लाती थी l
ओ रे गौरैया कहा चली गयी?
जो chi chi करते आती थी l
तेरे नाम किस्म किस्म के,l2l
कहीं गौरैया, कहीं चिरई तो
कहीं चूरमुन्नी कहलाती हो.
ओ रे गौरैया कहा चली गयी?
जो chi chi करके आती थी
तेरे बिन आँगन सुना,
छत भी सुना लगता है.
ओ रे गौरैया कहा चली गयी?
जो chi chi करके आती थी
अब तो तेरे लिए हमलोग,
दाना पानी भी रखते हैं l2l
याद आता है तेरा कलरव,
जो मिश्री कानो में घोली है l
ओ रे गौरैया कहा चली गयी?
जो chi chi करके आती थी
सुना सुना घरों मे भी,
तुम अपना पहचान बनती थी l
ओ रे गौरैया कहा चली गयी?
जो chi chi करके आती थी l
Poet : Digvijay Kumar, Dighwara